केहने को तो दुनिया मे प्रेम ताजमहल हैं
जिस दिन से हैं जागे मोम बने पथ्थर हैं
शोले मे जहां भडके वैसे कोई पास कहां हैं
केहने को तो फिर भी युं कोई दूर कहां हैं
युंही रूठेको मनाने की आदत जहां मे हैं
जब कर्म छूट जाये तो सोचे देव कहां हैं
लेते हैं जान देके कसम युं तो मौत कहां है
अब लब्ज रहे चूप आंसू बोले चैन कहां हैं
हसरत हैं के केहने को ख्वाबोंका जहां हैं
तूटे जो ख्वाब तो खुदकी भी याद कहां हैं
-----रेखा शुक्ला ०६/०७/१४
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