શનિવાર, 7 જૂન, 2014

ताजमहल



केहने को तो दुनिया मे प्रेम ताजमहल हैं
जिस दिन से हैं जागे मोम बने पथ्थर हैं

शोले मे जहां भडके वैसे कोई पास कहां हैं
केहने को तो फिर भी युं कोई दूर कहां हैं

युंही रूठेको मनाने की आदत जहां मे हैं
जब कर्म छूट जाये तो सोचे देव कहां हैं

लेते हैं जान देके कसम युं तो मौत कहां है
अब लब्ज रहे चूप आंसू बोले चैन कहां हैं

हसरत हैं के केहने को ख्वाबोंका जहां हैं
तूटे जो ख्वाब तो खुदकी भी याद कहां हैं
-----रेखा शुक्ला ०६/०७/१४

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