ગુરુવાર, 19 ફેબ્રુઆરી, 2015

इश्क की धून


प्यार ने दी ना पनाह बेबस नजरे करे इन्त्जार
खामोश जुबां कहे अब ना कर पाये रे इन्तजार
भीड मै तन्हां याद किया करे हाये रे इन्तजार
चठ्ठीयां खाली कागज अक्षरे हाये करे इन्तजार
----रेखा शुक्ला

खांक बनके पिया उड्ती फिरुं साजना
तु हैं सागर मैं रहु नदी रे मेरे साजना 
-----रेखा शुक्ला

इश्क की धून पे चल चला करे हाये 
रुके तो फासले देंगे सदमा 
मन मस्त मगन तेरा नाम बस दोहराये
----रेखा शुक्ला