जंगे सैनिक !!
ईस बात का खतरा रहेता हैं
खामोशी चित्कार क्युं सहेता हैं
गर सबकुछ गलत निकलता हैं
कहो वो सच कहां निगलता हैं
आंधियां आक्रमण सैनिक सेहता हैं
वो हर रोज जान पे खेलता है
खुल्ले दिल शहीद वतन पे होता हैं
मां का वो भी तो प्यार-दुलार होता हैं
वो कतरा कतरा रोज मरता हैं
हस हस कर फिर भी जीता हैं
झेल गोली,चैन गोद मे सोता हैं
मिट्टी का मोल, युं लहु चुकाता हैं
----रेखा शुक्ला