नग्मे दिल के गाये दर्दे बेकरार दिल
खुशी के साझ मै ही दिल के राझ है
इशारे चिराग और रोशनि पे नाझ है
बेकरारि दिल्कि लिये नग्मे दिल है
-रेखा शुक्ल
रुस्वाइयां शामकी कैसी महेरबानीयां
सबकी है कैसे वादो की ये कहानियां
लाती है रंग इश्क मै यु जवानियां
अंदाज ये कहे मुजसे मेरा ही रवैया
शोलोसे लिपटी आग कैसी परछाइयां
झख्मोंसे भरी सांसे करे रुसवाइयां
-रेखा शुक्ल