वक्तका काम गुजरना होता है पर इन्सान गुजर जाते है
अंबर से जमीं कभी ना मिल पाई हैं
रूक के भी सांसे दिलको ना भूली है
----रेखा शुक्ला*************
देहलीज के दरम्यान वास्ता हैं
फांसला है दरम्यान रास्ता हैं
फक्र है दोस्ती पे हमे जो होंसला देता है शुक्रगुजार हैं हम
साथ तुम्हारा, कुछ भी ना कहो दिलासा देता है शुक्रगुजार हैं हम
---रेखा शुक्ला*************
चुनते वक्त पुलिस के हाइट-चेस्ट नापे जाते है; किन्तु आत्मा को कभी नापा नहीं जाता है !!
उफ्फ्फ्फ
उफ्फ्फ्फ
मीट्टीका घरोंदा साहिल के किनारे बनाया
यादों के दोहरे पडे महोब्बत के रास्ते बनाया
--रेखा शुक्ला***********
बदलते हुवे रवैये ने तारीफ करने पर मजबूर कर दिया है
अब बची बचाई जान ही तो है..वो भी ले लो हुक्म दिया हैं