મંગળવાર, 5 મે, 2015

इश्क जालिम है...!!

करोडो में नीलाम होते है, नेता के उतारे हुए सूट ।
कचरे में फेक देते है, शहीदों की वर्दी और बूट ।
कर लिया इश्क देश से, इश्क जालिम है...!!
मुफ्त मे बिक गया इन्सान, जमाने ने कि लूंट ।
सरे-आम जूठे इल्जाम देके जनाजा पेहने सूट ।
कर लिया इश्क इन्सान से, इश्क जालिम हैं..!!.
मिल गई मिलावट सबमे, प्राण कहे मुजसे छूट ।
लहु मे हो गई क्या ये मिलावट, नाते जैसे घूंट ।
कर लिया इश्क रिश्तो से, इश्क जालिम है...!!
---रेखा शुक्ला