મંગળવાર, 15 માર્ચ, 2016

मेरी उन सांसो का हिसाब उधार रहेगा तुम पर !!

मेरी उन सांसो का हिसाब उधार रहेगा तुम पर !!
दरिया मे डूबा ना चाहा और तैरना नहीं सिखाया
दिल ने चाहा चीखना पर सांस रोकना नही आया
युं ही जजबातों मे धकेल दिया दूर शामिल न किया
जिक्र करू मैं सांस लेने का तो मौत को ही सौंप दिया
मैने माना की तुम्हारे सहारे हुं ना, स्पर्शभी नहीं किया
वाह मैने युं ही तुजे अपना माना रूह तक बसा लिया
हा तुजे तमन्ना आस्मां छूनेकी लो मेरा वजूद भूला दिया
लौटा दो वो मेरा मुस्कुराना और खुले हाथ तितली पकडना
ले चलो मेरी रूह को , मेरे वजूद को मिलाने चलोना
पांव मे क्या जोश था कि थकान का न कहीं नाम था
आज मूजे जिस्म पे जरूरत से ज्यादा प्यारा आया हैं
कि मैने परवा नहीं की उनका हिसाब बराबर करना हैं
भूल गई थी मेरे को क्युं खो गई थी तुज मे याद दिला दो
वो मेरी मासुमियत और मेरा भोलापन वापस बस ला दो
----रेखा शुक्ला