पर्दाफाश ..!!
किसी के इन्तजार मे खुली रेह गई आंखे
क्यां देखा नजारा फटी रेह गई जो आंखे
कौनसा दिदार देखे दिखाये बावरी आंखे
कश्मकश निगाहें प्यार करती जूठी आंखे
ये शोला हैं शबनम है बुलाती हैं ये आंखे
बहारोंकी जन्नत देख दिखाये प्यारी आंखे
जल्वा दिखायेगी हस्के रूलायेगी ये आंखे
चूपके चूपके चुभती सुलगती हैं ये आंखे
चूपचाप गूंगी व्याकूल सी घायल ये आंखे
गपशप लुभाती बेनकाब बेफिकरी आंखे
छत पे सिसकती आंसु पी ती ये आंखे
झूक गई तपती भिगोके वही दो आंखे
उठी तो इबादत , शरमिली बोले आंखे
करे पर्दाफाश दिलोजान सारी बात आंखे
-----रेखा शुक्ला १२/६/२०१६