जोड जलते गये दिवानी जिंद फसाने में
राझ तो खुलते गये नैन युं छुपाने में
रुठनेका सबक तो तुम को है जानने मे
हमे कहे मशरूख रहे तुमको मनाने मै
तिनका सम्ज कैसे फुंक दिया जाने मे
तोफे मै दि जिंदगी हमने फसाने मे
लुंट लिये करार फिर छोड जाने मे
मेरी दुनियाथी आशियाने बेकरार जीनेमे
करे पर्दा नशीं कसम अश्क की कतारमे
देखा हैं हमको मासुम रोते बहारो मे
बेखुद किये जाते देखा तो है नजारोमे
उम्र भर के लिये सजा अश्क बहारोमें
----रेखा शुक्ल
राझ तो खुलते गये नैन युं छुपाने में
रुठनेका सबक तो तुम को है जानने मे
हमे कहे मशरूख रहे तुमको मनाने मै
तिनका सम्ज कैसे फुंक दिया जाने मे
तोफे मै दि जिंदगी हमने फसाने मे
लुंट लिये करार फिर छोड जाने मे
मेरी दुनियाथी आशियाने बेकरार जीनेमे
करे पर्दा नशीं कसम अश्क की कतारमे
देखा हैं हमको मासुम रोते बहारो मे
बेखुद किये जाते देखा तो है नजारोमे
उम्र भर के लिये सजा अश्क बहारोमें
----रेखा शुक्ल