બુધવાર, 12 જૂન, 2019

વસમી વેદના રાખડી

Close-up of Rakhi : Stock Photo

                                         
મને કેમ વીસરી ? જો રૂડી રાખડી પણ છે રડી અડી
ભીંજાઈ ગઈ બધી જો પાંખડી 'ઓમ' ને અડી અડી

ઘર-પરસાળ, ગામ-પાદરું ઓલું ફળિયું પડે રડી અડી
સ્વજન, તરુવર લે સીમ-સીમાડો ભાંગ્યા અડી અડી

પંખીલોક ને કુંવારો વૈશાખ, ઘણ જાય છે રડી અડી
ઘર પછવાડી પરબે કેડી પ્રણયની જરાંક અડી અડી

વહેલો ને પહેલો માણ્યો રે વરસાદ છેડલો છેડી છેડી
કોરોકટ પાલવ ને ધોળોધબ વરસ્યો રે અડી અડી
---- રેખા શુક્લ 

તું આમ જ મને છોડી ગઈ !!

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તું આમ જ મને છોડી ગઈ !! 
લે જો તરસઘર બન્યા દેશે પત્ની વિનાના ઘરમાં 
કોઈ'ક તો આવી ક્યારેક જો હરખાવશે 
તરસ્યા મલકનો મેઘ જો બનશે !!
સાચેસાચ ના માંગુ સુવર્ણચંદ્રક, પારિતોષિકો કે પુરસ્કાર
ઉથલાવી પાના ને પ્રકરણે પહોંચાયું શાળાથી કોલેજ ત્યાં 
થંભ્યા પગલાં શૂન્ય બાંકડે મારગ કાંકરિયાળા ઉગ્યાં જ્યાં
તું આમ જ મને છોડી ગઈ !! 
આમ ને આમ સંસ્કૄતિના દાબ હેઠળ,
છોડ બધુ ઓ' વનસુંદરી તું જો પ્રવેશે..
પ્રકૄતિસૌંદર્ય ના અન્કુર ફૂટી મહોરાવુ પુષ્પ સમર્પિત 
શું ટાંકુ વેદના અરે !! આખરી તીવ્ર જીવંત વેદના,
ભાષા ચિતરાઈ જો ને પાને પાને ;
પાણે... પાણે !! ડૂબી જીન્દગી આંગણે ને
તું આમ જ મને છોડી ગઈ ઉગતા ઘડપણે !! 
---- રેખા શુક્લ

મારગ

મારગ
ઉથલાવી પાના ને પ્રકરણે પહોંચાયું શાળાથી કોલેજ ત્યાં 
થંભ્યા પગલાં શૂન્ય બાંકડે મારગ કાંકરિયાળા ઉગ્યાં જ્યાં
--- રેખા શુક્લ 

युं तो प्यारे होते हैं पापा पर सबसे प्यारी होती हैं मा
दूर दूर परियों के देश लेजाके निवाले खिलाती हैं मा
--- रेखा शुक्ला 

बारिश मे डूबी नैया, और खड्डॅ में फंसे पांव
दिल क्या सहे तूट तूट कर, लहु ने दिये घांव 
-- रेखा शुक्ला

' रीम ओफ ध वर्लड' बदली

' रीम ओफ ध वर्लड' बदली

पानी के सहारे चलने वालों को मोंजो से भागना नहीं चाहिये
सोच सोची बात का एहसास इम्तहान न लीजे पास चाहिये

कहां फस गई जान जन्नतकी मरम्मत में पिया खास चाहिये
' रीम ओफ ध वर्लड' मे करवटें संभल के बदली खास चाहिये

बिक गया जब सपनों का महेल इन्सान हैं तब से खोया खोया
सितारों को पायल की घूंघरुं पहेना दिया, दिल हैं खोया खोया

मुर्ख हैं प्यास उफ अल्लाह कहां से कहां ले आया प्यासा खोया
जिंदगीका ये झमेला, रात तो रात दिन भी हैं प्यासा ही सोया

मेरा यार यार मुजमें समाया ईश, संसारसे ऊपर हैं खोया खोया
कैसा हैं ये प्यार ? प्यार समजाये समजाया नही जाता खोया

----रेखा शुक्ला

मेरे प्यारे अब्बु,
आप जल्दी बापस आ जाओ. लोग कहेते हैं आप अल्लाह के पास हो...उसे खैरातमे मुजे वापस बुलालो ना तो कुछ काम बने. अम्मी मेरे सामने भी नहीं देखती. अब्बु जैसा गाना कोई सुनाता ही नहीं अब्बु की तरहा कोई प्यार भी नहीं करता. और आज अम्मी फिरसे पुलिस स्टेशन गई हैं..आपको ढुंढने आप उन्हैं भेज दो अल्लाह. मैं अब अब्बु के सिवा नहीं रेह सकता. जानता हुं अल्लाह तेरी अदालत तेरा इन्साफ...पर ये कैसा न्याय हैं ? मैं अब्बु को बोलना चाहता हुं कि अब मैं जल्दी बडां बन जाउंगा और कभी नहीं सताउंगा, और कुछ नहीं मांगुगा.. अब्बु को वापस भेजदो..!!
--- अब्बु का " हबीब "