चुन चुन के सितारे दामन से लिपटे तो..
चुर चुर कांच ..घायल कदम...शबद सितारे...
झिलमिलाये लहुं में उठे पंक्ति गा के रोये खडे रोंगटे तो......
छ्म्छ्म बांजे पाजेब नाचे पायल सावनमें...
घिर घिर बदरा चमके बिजुरियां ...
शोला सावन आंगनमें...!!
माइक्रोयुग का तेज इशारा..!!
..रेखा शुक्ला