સોમવાર, 4 મે, 2015

चीख


तुम काहे ना मानत हो? बिटीयां ही तो हैं न...कर लेने दो उस्को अपनी मनमानी...गुस्सा थूंक दो...देखो उसकी मां नहीं पर मौसी तो हुं न...! आप अगर ऐसे ही करोगे दीदी होती नाराज ही होती.....फिर उपर से भाभी की खिटपीट तो होती ही रेहती हैं..क्या करेगी वो बेचारी...देखो किशन भी तो पराया नहीं ..हम उनको जानते हैं..वो उसे खुश ही रखेगा..प्यार जो करता हैं ...बस बस बहोत हो गया ...आप के जिगर का टूकडा हैं पर वो उसकी जान है...!! और त्याग भी तो प्यार ही है ..!! अब और कुछ कहोगे ना तो पलके भीग जायेगी मेरी भी पापा...आपको किशन पसंद नहीं तो मुजे भी नहीं ...मगर आपकी नजर मे कोई लडका हैं ?? जो आप जैसा दिखता ना हो तो चलेगा पर आप से ज्यादा प्यार करनेवाला !! मै तो अपने पापाको बहोत प्यार करती हुं और करती रहुंगी..एक के बाद एक बिटीया को ससुराल भेजना आसान नहीं हैं.. मानती हुं किशन थोडा अनाडी और नटखट हैं..क्रिशन भगवान की तरहा ...हा पर जी लूंगी उसके बगैर अगर आप चाहो तो...! मम्मा की याद बहोत आ रही है आज ...आओ मौसी आज तुम ही गले लगालो !! पर ये सब नाटक कब तक चलेगा केहते भाभी कमरे मे दाखिल हुई.दुसरे ही दिन पता चला बेटी की लाश तालाब मे ..तो पापा को आ गया था हार्टएटेक और वो भी दुनिया छोड चल गये..!! और भाभी फूटफूट कर रोने का ढोंग कर रही थी और किशन स्तब्ध चूपचाप घूर रहा था. अचानक वो लाश को उठा के ले गया और बोला ...रोक सको तो रोक लो ...और देहलीज के आगे पहुंचा ही होगा के भाभी ने  उसे गोली मार दी ...और मैं चीखती जाग पडी...!!
------रेखा शुक्ला

બંધાયો


નહોતા જાણતા તેની સાથે મગ્ન થયા,સંબંધ બંધાયો
જશોદા નો જાયો, થાંભલીએ બંધાયો, સંબંધ બંધાયો
ટપક્યા આંસુ, લૂછી આંખ્યું ખિલ્યા ફૂલ સંબંધ બંધાયો
જોડાયું જ્યાં ગામ સાથે લ્યો નામ  હવે સંબંધ બંધાયો
---રેખા શુક્લ

તુરંત પાછી


પકડા-પકડી શ્વાસની ત્યારે મુંઝાઈ ગઈ...
બકેટ લિસ્ટની યાદી કરી પાછી ખોવાઈ ગઈ...
નજર મળી નજરથી તારી તુરંત જીવી ગઈ..
મુરઝાતી કવિતાની કળી પાછી પાંગરી ગઈ...
-રેખા શુક્લ