સોમવાર, 30 સપ્ટેમ્બર, 2013

अपने ख्वाबोंकी रानी के नाम...!!

शम्मा जला जलाके बुझाते क्यो हो?
मंदमंद मुस्कानसे तरसाते क्यों हो?

बात अंजामे इश्ककी डराते क्यों हो?
घोसला हैं नग्मे आशिकाने क्यों हो?

चिल्लायेगी नज्म शब अरथ क्यों हो?
किनारे पे डुबकी लगाते झिल क्यों हो?
--रेखा शुक्ला

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