अपने ख्वाबोंकी रानी के नाम...प्रेम जहां दिखता है
हा प्रेम सागर सा गेहरा है.......प्रेम कहां दिखता है
मखमली पंकतिओमे छुपके.....प्रेम कहां दिखता है
आंखो के दिपक मे दिखके......प्रेम जहां दिखता है
ना राईट पे या लेफ्टमे दिल सिर्फ सेंटरमे मिलता है
अपने दुपट्टे मै दानीस्ता कैद ....प्रेम यहां दिखता है
हा सर से सरकती ओढनीमे.....प्रेम बयां दिखता है
पर न्युमेरिकल थीयरी मे अजी प्रेम कहां दिखता है
----रेखा शुक्ला
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