ए हिंद देश के लोगों, सुन लो मेरीदर्द कहानी |
क्यों दया धर्म विसराया, क्यों दुनिया हुई वीरानी ||
जब सबको दूध पिलाया, मैं गौ माता कहलाई |
क्या है अपराध हमारा, जो काटे आज कसाई ||
बस भीख प्राण की दे दो, मै द्वार तिहारे आई |
मैं सबसे निर्बल प्राणी, मत करो आज मनमानी ||
जब मैं जाउँ कसाईखाने, चाबुक से पीटी जाती |
उस 200सेटीग्रेड उबले जल को तन पर, मैं सहन नहीं कर पाती ||
जब यंत्र मौत का आता, मेरी रुह तक कम्प जाती |
मेरा कोई साथ न देता, यहाँ सब की प्रीत पहचानी ||
उस समदृष्टि सृष्टि नें, क्यों हमें मूक बनाया |
न हाथ दिए लड़नें को, हिन्दु भी हुआ पराया ||
कोई मोहन बन जाओ रे, जिसने मोहे कंठ लगाया |
मैं फर्ज़ निभाउँ माँ का, दूँ जग को ममता निशानी ||
मैं माँ बन दूध पिलाती, तुम माँ का मांस बिकाते |
क्यों जननी के चमड़े से, तुम पैसा आज कमाते ||
मेरे बछड़े अन्न उपजाते, पर तुम सब दया न लाते |
गौ हत्या बंद करो रे, रहनें दो हमारी वंश निशानी ||
जब सबको दूध पिलाया, मैं गौ माता कहलाई |
क्या है अपराध हमारा, जो काटे आज कसाई ||
बस भीख प्राण की दे दो, मै द्वार तिहारे आई |
मैं सबसे निर्बल प्राणी, मत करो आज मनमानी ||
जब मैं जाउँ कसाईखाने, चाबुक से पीटी जाती |
उस 200सेटीग्रेड उबले जल को तन पर, मैं सहन नहीं कर पाती ||
जब यंत्र मौत का आता, मेरी रुह तक कम्प जाती |
मेरा कोई साथ न देता, यहाँ सब की प्रीत पहचानी ||
उस समदृष्टि सृष्टि नें, क्यों हमें मूक बनाया |
न हाथ दिए लड़नें को, हिन्दु भी हुआ पराया ||
कोई मोहन बन जाओ रे, जिसने मोहे कंठ लगाया |
मैं फर्ज़ निभाउँ माँ का, दूँ जग को ममता निशानी ||
मैं माँ बन दूध पिलाती, तुम माँ का मांस बिकाते |
क्यों जननी के चमड़े से, तुम पैसा आज कमाते ||
मेरे बछड़े अन्न उपजाते, पर तुम सब दया न लाते |
गौ हत्या बंद करो रे, रहनें दो हमारी वंश निशानी ||
-----Radha krishna ji Maharaj
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