શુક્રવાર, 23 જાન્યુઆરી, 2015

रियासत

दिखाया हैं जल्वा मान शुक्र खुदाका
शबाब पे रोज पर्दे हैं देख सुकुन का
शायर है देख एक अर्ज है हसीन का
कहींं मचल न जाये सवाल अरमान का
रियासत हैं प्यार की हसीन अंदाज का 
----रेखा शुक्ला



तेरी मेहफिल मे जमा हैं रंग कैसे आयेगी निंद
रात भर का जल्वा नजारोंं का हद पे आइ जिंद
किसके लब पे आह नहीं, क्या इसी लिये है हिंद
---रेखा शुक्ला

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