चले आओ चांद ले के नशीले नजारे
तुफान का कर्ज तुम कहो कैसे उतारे
इन्सान है हम पथ्थर के ना सहारे
कल की तो बात है...चौधवी का चांद कहा था
अब चुराके आंखे..ना जाओ तुम्ने तो कहा था
है ये कैसी बला की आग ले के आह कहा था
चले आओ वरना छोड देंगे जहां क्युं कहा था
----रेखा शुक्ला
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