लिखवा दु जाके रपट दादाजी आया हुं भागा भागा
विसल बजाकर किसी तरहा से चुंहे ने 'बस' रुकवाई
ठीक था तब रुकती भी थी बोले "सोरी" दादाजी
ना भालू ना शेर बंध पडे रेहते थे थाने में बोले दादाजी
कम्प्युटरपे बडे मजें से टाईप कर रही थी चिडियां रानी
डर के मारे बिलमें घुस गई जाके वीर बहादुर चुहिया रानी
---रेखा शुक्ला
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