સોમવાર, 21 ઑક્ટોબર, 2013

तेजी से बाईक ना चलाये कोई डर जाते है दादाजी


तेजीसे भागी बाईक जैसे कोई हिरन हैं भागा
लिखवा दु जाके रपट दादाजी आया हुं भागा भागा
विसल बजाकर किसी तरहा से चुंहे ने 'बस' रुकवाई
ठीक था तब रुकती भी थी बोले "सोरी" दादाजी
ना भालू ना शेर बंध पडे रेहते थे थाने में बोले दादाजी
कम्प्युटरपे बडे मजें से टाईप कर रही थी चिडियां रानी
डर के मारे बिलमें घुस गई जाके वीर बहादुर चुहिया रानी
---रेखा शुक्ला

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