शब्द्का लाललाल रंग अंगारा, उपरसे शब्दका ठंडा फंवारा
शब्दका लाजवाब सहारा, फिरभी गमे शब्दसे गर्म कंवारा
शब्दका गोला शोला हाय, शब्द का क्युंकी शब रहा पुजारा
हाय जालिम शब्दका जाला, लुभाता दुभाता खंजन प्यारा
शब्दसे लिपटी लता की माला, शब्द बेनाम बेरहम तुम्हारा
शब्दसे न होगा गुजारा, निंद उडादे शब्दकी जुल्फे दोबारा
शब्द कातिल शब्द साहिल,शब्दके आधिन शब्द मालिक
शब्द ही दामन शब्द का आंगन, शबोसे खिला फुल बेचारा
एकाकार और अनंत शब्द रंजारा, अकेला शब भीड का मारा
जुग्नु, तारे, चांद, सितारे, शब्दोसे शब्द का हसीन नजांरा
शब्द ही मासुम लो शब्द ही हया, शब्द का युं शब दिवाना
तितलियों का उडना शब्द को चुमना फिर कागज तो कोरा
शब्दों का भरे शब है जुर्माना, कश्मकश फिर शब का संवरना
शब्दका वार न जाये खाली, फिर भी शबसे ही शब्द खजाना
----रेखा शुक्ला
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