રવિવાર, 25 ઑગસ્ટ, 2013

लौट आओ

लौट आओ भुलाकर खतायें मेरी 
राह मे दिल बि्छादु अगर तुम कहो

इद का चांद निकला सजी हर गली
मैं भी धरको सजादु अगर तुम कहो
ये तुम्हारी निगाहोमे नफरत जो है
इसको चाहत बनादु अगर तुम कहो

क्या कहे ये अंधेरे न मिट पायेंगे
कहा रोशनी भी न हो पायेगी
देके दिल का उजाला चरागों को 
मैं रातको दिन बतादु अगर तुम कहो
...Shabeen Adeeb ji ki najm

ટિપ્પણીઓ નથી:

ટિપ્પણી પોસ્ટ કરો