શનિવાર, 6 એપ્રિલ, 2013

रिहर्सल...........!!!!!

वही भिड मे रहा लगाव मंच से
फांसले बढाता रहा  जिंदगी से
ढाढस बंध जाता युं यहा जीवनसे
हर रात करना रिहर्सल सोने से
डरता फिर रो के मौत के स्टेज से 
युं जिंदगीकी डोर ना खेंच तुटने से
---रेखा शुक्ला 

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