नर्म दिलकी जमीं पे जख्मी निशान है
शब्द ही प्यार बुंद-बुंद ही इन्स्पिरेशन है
तरन्नुम है आशिकी आरझु कनेक्शन है
सारी हर खुशीका भारी भारी रिसेप्शन है
पेहली और आखरी ख्वाहिश का बयान है
परम नाता क्रिश्ना से वरना डिसेप्शन है
जख्म दिलसे दुआ दे गम खुदा मुजे है
उजाले खुशीके तेरे रंगो से दुनिया है
मौलिक ये नाता का सही कन्फेशन है
ह्र्दयकी भाषा गुनगुनाता झरना है
--रेखा शुक्ला ११/०१/२०१२
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