आये थे तेरे दर पे उम्मिंदे आश ले कर
उठ्ठे हैं जनाजा अजी अपना ही साथ ले कर
-------रेखा शुक्ला
पेहचान क्युं ये जान हैं दिलमैं तो तेरी ही आन हैं
रेहने दे भरम ये मान हैं कद्रदानो के बिच थोडी शान हैं
-----रेखा शुक्ला
आवाझ दे दी हैं दिलने सुरत नजर ना आयें
जान गवाई हैं हमने कैसे नजर फिर आयें...?
--रेखा शुक्ला
मन्नते मानी यहां जन्नते चाही वहां
फैंसला तुमने किया...मंजीले तो पाई कहां..?
---रेखा शुक्ला
ईतना तो प्यार अजि हमसे करो, जितना प्यार तुम उन्से करो...
हमने तो प्यार अजि तुमको किया, जितना कभी भी ना हमसे किया...
---रेखा शुक्ला
समझ कर कांच का टुकडा दिल तोड आये
समझ कर कांच का टुकडा दिल तोड आये
सलाह देते हैं लोग और साथ छोड आये..?
----रेखा शुक्ला
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