मैं आज भी उन्की अमानत हुं.... जो मेरे दिलों दिमागो ं पर छाये हैं
अपनों के बिच भी तन्हाई हैं........... जो मेरे जी को मचला रही हैं
गर मर जांऊ तेरी याद मैं .........मेरी लाश पर उनकी ही आंखे हैं
आतें हैं कंई बार तो मिलने................ काश भोर न हो जाती हैं
साथ वो भी नहीं ले जाते हैं................ बडे बेफिक्र सोये जाते हैं
निगाहों से एक बार देख लुं........ तमन्नाये दिल मै लिये जीते हैं
ईश्क ने बरबाद किये............................. दर्दे जिगरे हाल हैं
कम्बक्त रिश्ते ने मुजे ........................मारा बार-बार..हैं..!
-----रेखा शुक्ला
અહીં તો રોજ ને રોજ તુ ં આવે છે
જવાબ આપોકાઢી નાખોતોયે મને કેમ તું યાદ આવે છે?
-રેખા શુક્લ