ॠतु मिलनकी होती थी अब ये सिर्फ दंगा
कहीं ऐसा न हो ईछ्छामॄत्यु दे दे बस दंगा
खाना पीना हो गये हराम दुआ रहेम दंगा
रूहानी रिश्ते नहीं मतलबी इन्सानी है दंगा
मंदिर मस्जिद मजहब कत्ला मत्ला ये दंगा
मजहब जातपात बोर्डर त्योहारी हरेक दंगा
किताबी महोबतकी शानदार जिंदगी भूख दंगा
भूखे सुखे नाते फैसला पैसा इत्फादी सफर दंगा
---रेखा शुक्ला
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