શનિવાર, 26 જાન્યુઆરી, 2019

काली बिल्ली....... काजलवाली



काली बिल्ली....... काजलवाली
चूराती हैं नजरे मिलाके एक बिल्ली
समजती हैं लूभाती हैं जूठी एक बिल्ली
बुचकारो तो आंखे दिखाती एक बिल्ली
चुरालो नजरें तो पुचकारती हैं एक बिल्ली
दिखाती हैं नफरत प्यार पाये ना बिल्ली
स्नान कर गंगा मे चली हज काली बिल्ली
----रेखा शुक्ला 
अबे नादान चूप , दिखाती हैं औकात हरकते तेरी
मिले मौका आईना को वक्त-बेवक्ती ्चाहते तेरी
---रेखा शुक्ला
कहीं और जा के बरस, गरजती हैं आंखे तेरी,
छूरी हैं कातिलाना नजरें, और बूरी जबान तेरी, 
प्यार की फीर भी आरझू, कैसी हैं तरस तेरी, 
पावर स्ट्रगल पे अभी भी, अटकी है सांसे तेरी, 
----रेखा शुक्ला 

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