तुम कैसे वजुद हो जिसके लिये घर छोड के आई....
अफसोस उस्को ही रुला दिया ...??
दवा तो ना बन सके तो झहर क्युं बन गये ??
क्या मिला उस्का हंसना छीन के ???
औरतने तो जनम दिया अफसोस तुम मरद ना बन सके ..!!
पल्लु छोड के अपने पांव पे खडे रहो और जानो जिंदगी का मजा
अफसोस तुम मरद ना बन सके ...!!
---रेखा शुक्ला
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