ગુરુવાર, 7 જાન્યુઆરી, 2016

वक्तका काम

वक्तका काम गुजरना होता है पर इन्सान गुजर जाते है

अंबर से जमीं कभी ना मिल पाई हैं
रूक के भी सांसे दिलको ना भूली है
----रेखा शुक्ला*************
देहलीज के दरम्यान वास्ता हैं
फांसला है दरम्यान रास्ता हैं
---रेखा शुक्ला*******

फक्र है दोस्ती पे हमे जो होंसला देता है शुक्रगुजार हैं हम 
साथ तुम्हारा, कुछ भी ना कहो दिलासा देता है शुक्रगुजार हैं हम 
---रेखा शुक्ला*************

चुनते वक्त पुलिस के हाइट-चेस्ट नापे जाते है; किन्तु आत्मा को कभी नापा नहीं जाता है !! 
उफ्फ्फ्फ 

मीट्टीका घरोंदा साहिल के किनारे बनाया
यादों के दोहरे पडे महोब्बत के रास्ते बनाया
--रेखा शुक्ला***********
बदलते हुवे रवैये ने तारीफ करने पर मजबूर कर दिया है
अब बची बचाई जान ही तो है..वो भी ले लो हुक्म दिया हैं
----रेखा शुकला*************

2 ટિપ્પણીઓ:

  1. बहुत ही सुंदर रचना की प्रस्‍तुति। मेरे ब्‍लाग पर आपका स्‍वागत है।

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  2. मेरी अभी अभी तीन पुस्तके प्रकाशित हुई इस्मे हिंदी मे लिखी हुई "दीपकला" है जिस्मे हिंदी भाषामे मेरी रचना लिखी है... GathaEditor Onlinegatha can ship you :) Thank you for your encouraging remark !!

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