ગુરુવાર, 30 જાન્યુઆરી, 2014

उम्मीद मुस्कुराये



उम्मीद मुस्कुराये तो आशायें बढ गई
फिर लगे घांव तो बाधाये रूठ गई...!!

भर आया फिर दिल कुछ इसतरहा से
अब गुंजाईश नहीं की दिल संभल पाये

दिल भी जलाने से रोशनी न कर पाये
बुने स्केच के पोंधोपे फुल निकल आये

जिंदगी डसती है ख्वाहिशे जब रूलाये
शिशेसे बना आईना लो दिल तोड जाये
---रेखा शुक्ला ०१/३१/१४

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