મંગળવાર, 3 જુલાઈ, 2012

नग्मे...शामकी कैसी महेरबानीयां....!!!


नग्मे दिल के गाये दर्दे बेकरार दिल
खुशी के साझ मै ही दिल के राझ है
इशारे चिराग और रोशनि पे नाझ है
बेकरारि दिल्कि लिये नग्मे दिल है
-रेखा शुक्ल


रुस्वाइयां शामकी कैसी महेरबानीयां
सबकी है कैसे वादो की ये कहानियां
लाती है रंग इश्क मै यु जवानियां
अंदाज ये कहे मुजसे मेरा ही रवैया
शोलोसे लिपटी आग कैसी परछाइयां
झख्मोंसे भरी सांसे करे रुसवाइयां
-रेखा शुक्ल

3 ટિપ્પણીઓ:

  1. ये उंचे पहाडो के मगरुर साये
    ये कहते उन्को नजर तो मिलाये
    फरिश्ते भी है इस जगह बेजुबां
    हाय ये खामोशियां की तन्हाइयां
    न पर्दा है कोइ न है कोइ चिल्मन
    कदम छोडते जा रहे है निंशा
    बनाली हमने अपनी जन्नत यहां
    हाय ये खामोशियां की तन्हाइयां

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  2. प्यास के प्यासे है नदियां किनारे

    नैनो के रस्ते वो दिलका उतरना

    पत्थर दिल मै कैद जो पिंजरे

    जुठी मुस्कानों के रंग का उतरना

    જવાબ આપોકાઢી નાખો
  3. प्यास दिलकी मीटा दे ऐसे भी समुंदरके मजधारे है....,
    है कश्तियां तूफानोमें और बहोत दूर खडे किनारे है.... ॥

    જવાબ આપોકાઢી નાખો