आप...!!
तखल्लुस मत लिजीये.. इन हथेली को रोक दिजीये....
बुझ गई है शम्मा अब ...तारीफ परवानेकी ना किजीये
तुटी सितार को बजाने मैं... पुरी जीन्दगी गंवादी...
सुबहां शाम लेके दिया ..हथेली जलाके रखदी...
हुश्न पे पर्दा करते है ....ये शिकायत न किजीये...
आवझ देके कब्र से... हमे जगा मत दिजीये...
---रेखा शुक्ला
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