चमक हैं पिधलती बिजली..
आके नशीलां नजारां चल लेजा
सुन महेफिल है सजी शाम बर्फीली
मिले मासुम होने की देख सजा
खुलेआम तारोंसे सजी रात बर्फीली
तन्हाई करे फरियाद सुनजा
विरानोंको आबाद करजा बर्फीली
सादगी की कयामत देखजा
ऐसी बरसात हैं थमीं चली बर्फीली
---रेखा शुक्ला
अंगडाईयां खामोशी हल्का हल्का
इधर बंदगी, सूरूर हल्का हल्का
उधार जीन्दगी गूरूर, हल्का हल्का
नजरों की बातें, जादू हल्का हल्का
---रेखा शुक्ला
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