उनकी याद मे गुमसूम
वो युं ही मुस्कुरा देते हैं
जब याद मे वो आया करते हैं
लोग पूछे के वो कौन हैं ?
वो शर्मा के मुस्कुरा देते हैं
नाम होंठो पे आ न जाये ये सोचके
दांत मे चुनर लिये घुंघटा कर लेते हैं
आंखे शराबी काफी नहीं के
वो शरारत कर लेती हैं
हाय रब्बा बोले होठ तो
लट गालो को चूम लेती हैं
डाली डाली पे झूले पत्ते हंसके
झूकी डाल पे फूळ लबो को छेडे हैं
झूमता पान करता मनमानी
आंचल उडा ले चले करे छेडछानी
भागी नंगे पांव दौड के
वो पथरीले झरने से गुजरके
भूल आई अपनी गगरियां
पूछे, छेडे अब सारी सहेलियां
कभी न देखा ना मिले फिर भी .........सपनो के शहेनशाह को
याद से खो गई अपने आप को छू लिया तो क्या करेली पगले को
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