શનિવાર, 20 ફેબ્રુઆરી, 2016

चांदनी की कसम

मौजो में तेरा चेहरा देखु
फूलो मे तेरा नाम देखु
बोल दो ना अब ना पलक झपकु
छु लो ना...!!
सांस लेते ताज की कसम 
केह भी दो ना..!!
मुहब्बत के राझ की कसम
शायद मैंने ताज को मूड के देखा होगा की फिरसे वापस आ गई
गर धडकना या आंसु बेहना बंध हो गया तो 
प्यार क्या मैने खाक किया है?
एहसान मंद हैं हम !!
देखो ना हमसे कुछ और कहा नही जायेगा हैं ना
पानी से बनी मूरत हूं रो पडी तो बेह जाती हूं हैं ना 
ऐसा बोलाना आपको हमसे प्यार हो गया हैं 
इस उम्र मे मरने का इरादा क्या पक्का कर लिया हैं 
फिसल गया पांव तो चोरी चोरी मुस्कुरा रहे हो
खुशी के चक्कर मुजे आ गए तो आप क्यु रोने लगे है 
कहां मैं कहां आप हो क्रिष्ना मेरा तो शिवजी से नाता हैं
मिलके पा ली जन्नत, चांद को दी चांदनी की कसम हैं
----रेखा शुक्ला

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