खामोश जुबां कहे अब ना कर पाये रे इन्तजार
भीड मै तन्हां याद किया करे हाये रे इन्तजार
चठ्ठीयां खाली कागज अक्षरे हाये करे इन्तजार
----रेखा शुक्ला
खांक बनके पिया उड्ती फिरुं साजना
तु हैं सागर मैं रहु नदी रे मेरे साजना
इश्क की धून पे चल चला करे हाये
रुके तो फासले देंगे सदमा
मन मस्त मगन तेरा नाम बस दोहराये
----रेखा शुक्ला
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