लो छू लिया हैं आस्मां आज मेरे हजुर
खामोशियां ही मेरी छूलेंगी मेरे हजुर
महेक महेक सुगंध तन-मन मेरे हजुर
काहे छेड छेड छूया करे तु मेरे हजुर
बंध पलके हैं अल्फाझी चुंबन मेरे हजुर
ना लो इम्तीहां लीपटी हैं सांसे मेरे हजुर
ख्वाब मे जुडी बदन मे सिमटी मेरे हजुर
सुलगती धुंध बेकरार दिल आ मेरे हजुर
कांधे पे सिर खामोश सिमटी हुं मेरे हजुर
तेरे नाम मे जुडी नाते सही हैं मेरे हजुर
अय मेरे बावरे और पास आओ मेरे हजुर
आप ही आप तो हो मेरे खुदा मेरे हजुर
तुम्ही तो मेरे जन्नत के शेहनशाह मेरे हजुर
----रेखा शुक्ला
ટિપ્પણીઓ નથી:
ટિપ્પણી પોસ્ટ કરો