हाये रिश्तोंसे फिर घूंट गया
अंजामे लय बन्ती अरमानोंकी
पायल गर तूटती ना पांव की
सीने मे तडपते प्यार छूपाकर
रंग मे जीने ले दे प्यास अगर
रात क्यो न हो कितनी मतवाली
सुबहां के आलम मैं तो खलबली
नज्मों मे देख छलके है मस्ती
बनेंगे देख फिर अफसाने हस्ती
युं ना हमे सताया करो तूट गये
कांचके हैं, कहीं बिखर ना जाये
----रेखा शुक्ला (शिकागो)
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