शहेर से बहोत दूर घर बनाया मगर फैलते फैलते शहेर घर मे आ गया....!!
सपनों से ज्यादा अपनों की किंमत करते करते दम घुंट गया...
तब ख्याल आया की अब तो पुरा करले सपने !!
गिरवे रखके दर्द चलो प्रेम उधार ले के जी ले जिंदगी...
बिखर जाये बुंदबुंद असुवन से जुडी वो उदासी...!!
.....रेखा शुक्ला
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