શનિવાર, 27 જુલાઈ, 2013

तेरे दर

तेरे दर पे आने की जरुरत नहीं हैं
जब आंख बंध करती हुं तस्वीर सामने हैं
ये कोई आशिक का ख्वाब नहीं हैं
ये तो मेरे किशन कनैया मेरे सामने है
--रेखा शुक्ला

मंदिर मे किशन बन खडे शिवालय मे शिवजी बन पडे
मस्जीद मे अल्लाह बन पडे और इशु बन चर्च मे खडे
किन किन नाम से जुडे हमें बांटना गंवारा ना लगे बडे
-रेखा शुक्ला

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