फुलके आसपास रेहनेवाले कांटे उदास कयुं है?
हर लम्हां सिमट लुं ये आंसु टपकते क्युं है?
बढती हैं प्यास यादोंकी आंधी सिमटी क्युं है?
मिट्टीके लोग कागज मैं रोज बिकते क्युं है?
चुपकिदी शायर की इबादत सनम ही क्यु हैं?
बेचेन धडकन से करवट बदलती क्युं है?
--रेखा शुक्ल ०३/०९/१३
हर लम्हां सिमट लुं ये आंसु टपकते क्युं है?
बढती हैं प्यास यादोंकी आंधी सिमटी क्युं है?
मिट्टीके लोग कागज मैं रोज बिकते क्युं है?
चुपकिदी शायर की इबादत सनम ही क्यु हैं?
बेचेन धडकन से करवट बदलती क्युं है?
--रेखा शुक्ल ०३/०९/१३
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