'खो के मिल पडी हूं मैं' और 'दूरियों से लडी हूं मैं' आपके सकारात्मक दृष्टिकोण को दिखाता है। पर मैं आपको बता दूं वर्तमान में स्त्री जबरदस्त ताकत के साथ खडी है अतः उसे पुतले-सा खडा नहीं रहना चाहिए और नहीं रडना (रोना) चाहिए। शायद आप मेरे विचारों से असहमति दर्शाएंगी। पर आपकी भावना एवं कविता का संदेश पवित्र है आपने विशिष्ट लम्हों के साथ अभिव्यक्ति की है मैं समझ सकता हूं।
'खो के मिल पडी हूं मैं' और 'दूरियों से लडी हूं मैं' आपके सकारात्मक दृष्टिकोण को दिखाता है। पर मैं आपको बता दूं वर्तमान में स्त्री जबरदस्त ताकत के साथ खडी है अतः उसे पुतले-सा खडा नहीं रहना चाहिए और नहीं रडना (रोना) चाहिए। शायद आप मेरे विचारों से असहमति दर्शाएंगी। पर आपकी भावना एवं कविता का संदेश पवित्र है आपने विशिष्ट लम्हों के साथ अभिव्यक्ति की है मैं समझ सकता हूं।
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