नरिमल-पोइन्ट हो या परिमल बाग,
हर जगां है बस आग ही आग...
एक ही साझ है एक ही राग..
केहती जींदगी भाग ही भाग..
जींदा है तो बोल ना..दिलमे न कोइ दाग
करके इझहार ले मांग ही मांग..
वक्त मांगे हिसाब हर पल का भाग..
जलती रही इश्की आग ही आग...
-रेखा शुकल
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