शिखर को छूते मुक्द्दर बनाते सोचे जरूर क्या सुबह आयेगी
याद बहुत आयेंगे शुशांत, कब आयेंगी नई सुबह जस्टिस देगी
बिट्टो राजा के कुछ ख्वाब प्यार में होके बिखरे रीया सजा होगी
मम्मी की डायरीके भीगे पन्ने रिश्तों के जख्मोंसे भरे सजेगी
रवि से चांद तक चलों युं ही सही श्याही गिरेगी आंसुसे भीगेगी
दिल की कलम से अन कही मन कही बदलेगी सांसे रूह मरेगी
--- रेखा शुक्ला
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