सोचा था दादी ने के ' बहु ' खुश है
बेटा जो उछल उछल बादल छूता होगा
पर आईना था भीगा बदमाश नैनो की गलती थी
एक तो हवा गा रही थी और मयुर पागल नाचता था
पूजारूम से दादाजि पोते के साथ थे आये
और खुशी आंगन तक पहुंच चूकी थी
कहां गायब हो जाता है परिवार की धडकन बेकाबू हो गई थी
कि ठुमके लगाके मेना भी टहेलती थी
सुना तुमने ? घडी की सूंईयोंकी टीकटीक सुनाई देती है
ऐसा सन्नाटां है अब छायां, देखो ना बेटा तेरे बिना
---- रेखा शुक्ला
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